तारीख चौदह माह सितम्बर, सन उन्नीस उनचासमिली जगह थी संविधान में, दिवस हिन्दी की खास।सिंधु में आर्यों की हिन्दी, फैली थी उत्तर भारतसंस्कृत कि हिंदी देव नागरी, पा गयी महारथ।ऋग्वेद संस्कृत की भाषा, जिसमें मानव उत्थानफारसी का अंग है हिन्दी, करते जिसका गुणगान।हिन्दी है यह वतन हमारा, हिन्दी हम हिन्दुस्तानइसकी गरिमा कौन न जाने, मिलती इसमें पहचान।भाषा की तरंग देखिये, संस्कृत – पाली – प्राकृत
अपभ्रंश है हिन्दी फिर भी, करती सबको जागृत।वैदिक – संस्कृत – संस्कार, सभ्यता पुरानी हैतीन हजार भाषा में, अपनी भाषा नुरानी है।
केसर सा प्यारा लगता है, महकता चंदन – चंदनभावों की अभिव्यक्ति है यह, करते हम अभिनन्दन।इतनी सरल – तरल है भाषा, कवि लेखकों की जानअपनी हिन्दी भाषा का है , हिन्दी ही उसका प्राण ।
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
behad sundar likha hai aapne….waah…..
बहुत ही सुन्दर सर
Sundar Srijan …….