भक्ति में थी लीन पार्वती शिव शंकर कासाधना में तल्लीन पार्वती शिव शंकर का।देख सखी, सखी की हालत तब कुर्बान हुईबाधा विघ्न सब दूर करने को भान हुई।पार्वती को घर से हर, वन में लाई थीसाधना तब जाकर, पार्वती कर पाई थी।हरतालिका का मतलब भी तो जाने हमपार्वती जी शिव शंकर को भी माने हम।हरित – अपहरण, तालिका – सखी, पहचान करेंहर पत्नी, पति के लिए ही तो , परित्राण करे।विनती सुनकर शिव शंकर दौड़े आते हैंपार्वती के वचनों में वो घिर जाते हैं।आँख मिचौली ये सब, प्यार भरा नजारा हैभाद्र तृतीय शुक्ल पक्ष, पत्नी का प्यारा है।सोलह श्रृंगार ब्रत तीज, एक दिवस उपवासपति की लम्बी उम्र की, चलता आया इतिहास।
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Bindu Ji pahli do lines coreections maangti hain. Anyatha rachnaa Bahut sundra hai.
बहुत ही सुन्दर सर