पत्थर को पुजते – पुजते लोग क्यों पत्थर बन गयेएक – दूसरे को नहीं समझते इतने बत्तर बन गये।कहाँ गयी वो शर्म – हया जो अपने दिल में रहते थेइंसानियत मर गयी खाकी – खादी खद्दर बन गये।
रहम की भीख भी अब मुकर्रर नहीं होता जमाने मेंलोग कब से पीछे पड़े हैं सिर्फ पैसा कमाने में।कर्म – धर्म और मर्म सब के सब रख दिए ताक परकोई भी रहनुमा अब नहीं मिलता यहाँ जमाने में। बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा – बिन्दुबाढ़ – पटना9661065930
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Bahut khoob. Ek do sthan par spelling mistakes maza kirkira kar rahin hain.
thanks
बहुत अच्छे ………….!
very very thanks
Very nice…
bahut bahut sukritya
आज के आधुनिक युग के स्वार्थमयी चेहरे को शब्दो के माध्यम से सामने ला कर रख दिया ।
sukritya
binduji….bahut badhiya……….
very very thanks babbu jee.