बारूद का ढेर💣💣💣💣जनसंख्या बनी बारूद का ढेर।संभालो कहीं ना हो जाए देर।तीन प्रतिशत मात्र भूमि का हिस्सा ।सत्रह प्रतिशत जनता का किस्सा ।संसाधनों का नित लुट रहा कुबेर।जनसंख्या बनी बारूद का ढेर ।संभालो कहीं ना हो जाए देर।हरित क्रांति ने हरियाली फैलाई।कृषि उत्पादकता बढ़ी है भाई!तो क्यों कुछे चेहरे पीले-कनेर?जनसंख्या बनी बारूद का ढेर ।संभालो कहीं ना हो जाए देर ।बेरोजगारी ने तांडव मचाया।प्रगति-समर्थ को विदेश पहुँचाया ।पल-पल बढ़ता अपराध का अंधेर।जनसंख्या बनी बारूद का ढेर ।संभालो कहीं ना हो जाए देर ।जल और वायु में हलाहल समाया।चिकित्सा जगत भी इससे घबराया।खोए सब घरों में, विनाश मुंडेर ।जनसंख्या बनी बारूद का ढेर ।संभालो कहीं ना हो जाए देर ।शानौ-शौकत सब ऊपरी आडंबर।प्रयत्न तुम्हारे गधे पर वाघंबर।विस्फोट का, दहाड़ता भूखा शेर ।जनसंख्या बनी बारूद का ढेर ।संभालो कहीं ना हो जाए देर ।।।मुक्ता शर्मा ।।
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Bahut sateek ………..
शुक्रिया शिशिर मधुकर जी
उत्तम सृजन ……………….!
बहुत-बहुत धन्यवाद निवातिया जी
बहुत ही बढ़िया….मुक्ता जी….कल मैं प्रतिकिर्या देने की कोशिश की पर आप की ही किसी भी रचना पर प्रतिकिर्या नहीं जा रही थी…एरर शो हो रहा था….