कृष्ण मोहे माफ़ करमैं ना करू पूजामोहे नाही जान तोरीना ही कोई दूजातू ठहेरो चक्रधारीमानव मै छोटातोसे मेरो मेल नहीभक्त नही खोटामूरत तो बहुत देखीदेखा न सामनेदर्शन तुम देत नाहीसुना है नामनेमानव मैं डूब गयोलालच के बाढ़ मेंअब कुछ न दिखे मोहेपैसन के आड़ मेंतू आना तब आनाछोड़ मेरे हाल पेअब मैं खड़ा हूँ नाआखर किनार पेगर तोहे दिखती होहालत संसार कीरख लाज दुखियों कीभक्तों के प्यार की———————–//**–शशिकांत शांडिले, नागपुरभ्र.९९७५९९५४५०
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भक्त का प्रेम भरा उलाहना 👏
हृदयी आभार आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए।
धन्यवाद !
Lovely bhajan……..
Thank you so much जनाब !
शशिकांत जी…बहुत प्यारा….कौन सी भाषा है….बाकी जगह तो समझ आ गया पर आपने यह लिखा “मोहे नाही जान तोरी” इसका मतलब मैं नहीं जानता तुम्हें होता क्या….
जी शर्माजी
सही कहा आपने
हे कृष्णा तू मुझे माफ़ कर
मै पूजा अर्चना नहीं करता
(मोहे नाही जान तोरी) मै तुम्हारे बारे में कुछ नहीं जानता और (ना ही कोई दूजा) नाही किसी और भगवान के बारे में जानता हु
जो कृष्णा के बारे में सुना है उसी आधार पर यह रचना लिखी गई है, जिसमे की इंसान भगवान की बराबरी नहीं कर सकता किन्तु भगवान है तो उनसे सवाल जरूर पूछ सकता है
इसी प्रकार सभी पंक्तिया है ….