कभी तुम भूल जाते हो कभी पहलू में आते हो आखिर कौन से रिश्ते को तुम मुझसे निभाते होकभी तुमको नहीं परवाह मुझे सन्देश देते होकभी मैं प्यार तेरा हूँ यही खुलकर जताते होकभी ऐंठें से रहते हो जैसे कुछ भी नहीं मेरे कभी बातों से मीठी तुम मुझे अपनी लुभाते होअरे गर दूरियां हीं अब तुम्हें मुझसे बनानी हैंबांध कर डोर ये स्नेह की क्यों मुझको सताते होबड़ी मुश्किल से उल्फ़त की दिलों में आग बुझती हैइसे तुम मुस्कुरा मधुकर के दिल में क्यों जलाते होशिशिर मधुकर
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बहुत खुब सर ।
Dhanyavaad Bhavnaa Ji ……………….
Bahut sunder…
Dhanyavaad Anu ……..
Bahut sundar rachna sir
Rachna padhne or saraahne ke lie anekon aabhaar
Hi sir how are you?
bahut badhiya……………
Tahe dil se shukria Babbu Ji …….