बड़ा अफ़सोस है तुमने मुझे एकदम भुलाया हैमुझको इस प्रेम ने अक्सर ज़माने में रूलाया हैहर दफा चोट मिलती है और पीड़ा को झेला हैमैंने तो प्रेम झूलों में किसी को जब झुलाया हैअपने दिल में ज़रा झांको और खुद से प्रश्न पूछोमैं हरदम पास आया हूँ तुमने जब भी बुलाया हैज़माने ने करी कोशिश तुम्हें कोई चैन ना आएमगर मैंने तो फूलों पे तुम्हें हर पल सुलाया हैवक्त बदला है अब जो भी चाहो तुम यहाँ कह लोतेरी बातों पे मधुकर ने मगर मुँह ना फुलाया है शिशिर मधुकर
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बेहद ही खूबसूरत…. पर अंतिम शेर आपकी रचना और लेखनी के हिसाब से जंचा नहीं मुझे… गलती कुछ भी नहीं उसमें वैसे…… आदत आपने गलत हमें ही डाल रखी है…..हाहाहाहा…
Dhanyavaad Babbu Ji. Aapki baat ka dhyaan rakhte hue maine rachnaa ki antim line me parivartan kiya hai. Kripyaa bataaen ab kaisi lag rahi hai.
बहुत बढ़िया…मधुकरजी…. आप जैसा दिल सब को हो …काश… सब में मैं भी शामिल हूँ….हाहाहाहा…