नन्द के घर आये लाल….सब नाचें बिन सुरताल….नन्द के घर आये लाल….सब नाचें बिन सुरताल…..सांवली सूरत घुंघराले बाल…देख जग सारा भया निहाल…..कोई बिहारी कहे कोई गोपाल…सब नाचें बिन सुरताल…..कोई कहे इसे पलना झुलाओ….कोई कहे मेरी बाहों में लाओ….दरस को हर मन बेहाल….सब नाचें बिन सुरताल…..इक सखी ने टीका लगाया….दूसरी आके चंवर झुलाया….ममता में सब हैं निढाल….सब नाचें बिन सुरताल…..माँ यशोदा जाए बलिहारी….नन्द भी जैसे सुरति बिसारी….नाचे बिन ढोलक ताल….सब नाचें बिन सुरताल…..जय यशोदा माँ नन्द दुलारे….तेरी छवि देख सब मन हारे….मुझको भी तू ले संभाल….सब नाचें बिन सुरताल…..’चन्दर’ को अपने रंग रंग दो…स्याम ही रंग में मुझको रंग दो….आ बसो मन गोपाल….मैं नाचूँ बिन सुरताल….मन मेरा भी बेहाल…आयो नन्द के लाल….मैं नाचूँ बिन सुरताल….\/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)
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बहुत ही सुन्दर सर
Bhakti bhaav yukt brehtreen rachnaa. Ekdam original.