गिले इन लबों के खत्म ना कर सकेगें,सिलसिलो के रुख बदल ना सकेगें। ये आइने भी कभी दिल नही पढते,और हम आइने कभी पलट न सकेगे।।गिले इन लबों के खत्म ना कर सकेगें।। महज़ कुछ बातों को तो उतार दिया,कभी आँखो के दरिया को उतार न सकेगे। ।राहें भी हमारी है, मंजिलें भी हमारी है, फिर भी मुसाफ़िर इनके बन ना सकेगें।गिले इन लबों के खत्म ना कर सकेगें।आँखे के साथ वक़्त भी साथ है,फिर भी अपने ही खवाबों के हक़दार हम हो न सकेगें।। अजंली
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Dard samete sundar rachnaa Anjali…..
Thanku sir
PYAR KI EK ACHHI DASTAN EK DARD…….BAHUT SUNDER,,,,
Thanku sir
Nice……………. Anjali ji
Thanks a lot
Very nice
Hertly thanku
khoobsoorat……….
Thanku sir
Bahut sunder, Anjali…
Thanks mam
मुकाम जो भी हो मेरे…….मुहब्बत का लेकिन,
‘ऐ-ज़िंदगी’ तुझसे कभी कोई शिकायत न होगी….
क्या बात है बहुत ही खूब anjali Ji