रात आई थी काली अंधियारी तब जन्मे थे कृष्ण मुरारी ।न जाने कैसे खुल गई सारे ताले और टूट गई बेड़ियाँ सारी सो गये थे दरबान सारे के सारे देख वासुदेव-देवकी की खुशियाँ अम्बर ने भी खुशियाँ बरसायी ।तब चले वासुदेव कृष्ण को लेकर गोकुल धाम नन्द के द्वारे पर यमुना का जल स्तर हर पल बढ़ता जाये।जिसे देख वासुदेव भी घबड़ायेपर वो हिम्मत न हारे वासुदेव चल रहे थे आगे आगे पीछे शेषनाग फन फैलाये ।गोकुल पहूँच यशोदा की बेटी गोद उठाये और फिर कृष्ण को वहाँ सुलाये फिर आ पहूँचे व मथुरा देखा सबने फिर से लग गए सारे ताले ।आ गयी खुद हाथो में बेड़ियाँउठ गये थे दरबान सारे जब देखा दरबान ने देवकी की गोद में बालक खबर पहूँचा दिया कंस को सारे ।कंस ज्योहि उसे मारने आयाउसने रच दी अपनी मायाकह दिया कंस से तूझे मारने जो है आया वह पहूँच गया गोकुल धाम हमारे ।भावना कुमारी
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Krishna Janm katha ka sahi chitran .
धन्यवाद सर
bahut sundar varnan……………..
धन्यवाद सर
बहुत सुन्दर रचना
धन्यवाद अंजली जी
BAHUT KHUB BHAWANA JEE…… KUCHH ISH TARAHA DEKHEY.
AAEE THI RAAT KALI ANDHIYARI
TAB JANME THEY KRISHAN KANHAI.
VHADRA PAKSH TITHI MAHAA ASTAMI
AADHI RAAT AA GAYE GIRIDHARI
thodi mehnat se aur nikhar aayega bhawana jee.
धन्यवाद सर ।आपकी बातों पर ध्यान दूंगी