ज़रा शीशे में खुद को देख लो तुम जान जाओगेपरख मेरी दो नज़रों की भी तुम पहचान जाओगेतुम्हीं सबसे हसीं हो इस जहां में कह दिया मैंनेमेरी इस बात को तुम मुस्कुरा कर मान जाओगे लुटाना प्यार का मुश्किल है मैं भी मानता हूँ परकोई तो रास्ता निकलेगा गर तुम ठान जाओगेबड़ी मुद्दत हुईं ये सर तेरे आँचल को तकता हैकभी देके क्या तुम इसको हसीं मुस्कान जाओगेगुजरते जाते हैं दिन रात और लम्बे महीने भी मुझे करते हुए क्या तुम यूँ ही हैरान जाओगेये सूनापन तुम्हारे बिन कभी ना ख़त्म होता है कहो गा के तुम अपने प्रेम का कब गान जाओगे तुम्हीं सबसे धनी हो इस जहां में पूछ लो मुझसेतुम दे के क्या मधुकर को खुद का दान जाओगेशिशिर मधुकर
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बहुत खूब ………….!
Dhanyavaad Nivatiya Ji …………….
Very nice…
Thank you Anu……………
bahut khoobsoorat…………
Tahe dil se shukriya Babbu Ji …………….