मैंने कितनों को परखा है साथ तुमने दिया है बसकई अपने परायों ने मुझको रुसवा किया है बस जो मन की बात को समझे और सुख दुख मेरे बांटेजवानी का वो ही साथी मेरा असली पिया है बसमुहब्बत का हसीं रिश्ता कितना अनमोल होता हैप्यार मैंने दिया तुमको वो ही वापस लिया है बसतुम्हें समझा नहीं कोई उलाहने लोगों ने दे डालेतेरी हर बात को समझे वो तो मेरा जिया है बसतुझे पाने का सपना ही मुझे अब तक जिलाए हैलिपट के तेरी यादों से मधुकर धड़के हिया है बसशिशिर मधुकर
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बेहद खूबसूरत….कोई उलाहनें की जगह….कई उलाहने होगा…देखिएगा….
Nahin Babbu Ji Koi ko Samjha ke saath padhe. Ulaahne alag hai.
हाहाहाहाहा…..मजा आ गया….एक ही सांस में पढ़ने से रोको मत जाने दो हो गया…..बिलकुल सही फ़रमाया हुजूर….जय हो….
Bahut Sunder rachna, Shishir ji..Mujhe bhi lag raha koi ki place pe kai karke dekhe…
Nahin Anu Koi ko Samjha ke saath padhe. Ulaahne alag hai.
Ji Shishir ji,