ए वक्त करम कर दे अपना वो बाहों में फिर आ जाएंएक प्रेम भरी बदली बन के तन्हा जीवन में छा जाएंवो दूर हुए संगीत मेरे जीवन से कितना दूर हुआवो नेह गीत अपनी वाणी में आकर फिर से गा जाएंदीवार खड़ी है बीच में जो तन्हा मुझसे ना हटती है वो हाथ लगा दें अपना और साथ में इसको ढा जाएं पुल सागर पे बनना है कुछ और तो सम्मुख काम नहींसागर से विनती है अब वो खुद इसकी राह बता जाएंमधुकर कितनी मन की बातें मन ही मन में ठहरी हैंसन्देश कोई भेजो उनको वो अपनी पीर सुना जाएं शिशिर मधुकर
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बहुत सुन्दर रचना है सर।
Tahe dil se shukriya Anjali ……..
behad khoobsoorat………….
Tahe dil se shukriya Babbu Ji …….
kya baat hai shishir sahab aap shabdo ke to jadugar hai jo man ki bhavnao ko achchi tarah pad lete hai .
Tahe dil se shukriya Rajiv Ji ……..