लोग मेरी मुहब्बत पे जाने क्यों तंज़ कसते हैंजो भी सम्मान देते हैं वही तो दिल में बसते हैंज़ख्म देते रहे दिल पे नतीजा सामने है जबअपनी कुंठा छुपाने को लोग अब मुझपे हँसते हैं कोई दावा करे कुछ भी मुझे एहसास है इसकामेघ जो भी गरजते हैं वो अक्सर ना बरसते हैंप्रेम की छाँव जिन लोगों के सर से दूर रहती हैफ़कत तन्हाई के आलम में वो हरदम झुलसते हैं उम्र का क्या करे कोई प्यास गर बुझ नहीं पाएएक असल प्रेम पाने को लोग मधुकर तरसते हैंशिशिर मधुकर
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Bahut sunder rachna, Shishir ji…
Tahe dil se shukriya Anu …………….
bahut Sahi kaha hai Shishir Sahab Aapne aur apki ye line to dil ko chu gayi “जो भी सम्मान देते हैं वही तो दिल में बसते हैं” bahut khub sir
Aapke anmol shabdon ke lie tahe dil se shukriya Rajiv Ji ……
बहुत सुन्दर पँक्तियाँ सर
Dhanyavaad Anjali ………….
बहुत सुंदर ……..शिशिर जी !
Dhanyavaad Nivatiya Ji ……
ati sundar……………..
Bahut bahut dhanyavaad Babbu ji ………….