घिर गया हूँ हर तरफ़ उलझन के जाल मेंचैन अब आए ना मुझको कैसे भी हाल मेंमुकद्दर से ज्यादा वक्त देता नहीँ कुछ भीअब तो दम लगता है बस इस मिसाल में सिंह भी तन्हा अगर रह जाए इन वनों में घिर जाएगा एक दिन वो कुत्तों की चाल मेंघास सीने पर मिला हर युद्ध में मुझकोताकत कभी दिखी ही नहीं मेरी ढाल मेंये नाव जीवन की मधुकर आगे बढ़े कैसे जब हो गए है छेद बड़े अपने ही पाल मेंशिशिर मधुकर
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खूबसूरत टिप्पणी
Shukriya Bindu Ji ……………
Bahut sunder…
Dhanyavaad Anu ………………….
Bahut sunder
Bahut bahut shukriya …………
बहुत सुन्दर रचना है सर।
Tahe dil se shukriya Anjali …………………