जय शिव शंकर अवढ़र दानी, तुम्हरी महिमा सब ने मानी ।सब भूतों में वास तुम्हारा, वेदों ने है कीर्ति बखानी ॥ 1 ॥आदि अन्त रहित तुम व्याप्त सभी में, चराचर जगत तुम्हारी माया ।लीला तुम्हारी है अति न्यारी, जान नहीं कोई पाया ॥ 2 ॥कर में सोहे त्रिशूल डमरू, कण्ठ सोहे सर्पों की माला ।रौद्र रूप में शोभित होती, गले में मुण्डों की माला ॥ 3 ॥सर्वप्रथम नाद विश्व में, तुम्हारे डमरू से हुआ प्रकट ।आशुतोष तुम कहलाते हो, हरते भक्तों के संकट ॥ 4 ॥गंगा को जटाओं में कर धारण, धरती पर अवतरित किया ।भागीरथ के तप को किया सफल, भूमंडल को गंगा का वरदान दिया ॥ 5 ॥सागर मंथन से विष प्रकट हुआ, जग में गूंजा जब त्राहिमाम ।कर धारण उसे कण्ठ में, नीलकण्ठ का पाया नाम ॥ 6 ॥तीसरा नेत्र खोलकर तुमने, कामदेव को भस्म किया ।’रति’ को दिया वर पुनर्मिलन का, जीवन उसका धन्य किया ॥ 7 ॥चन्द्र शीष में कर धारण, ‘चंद्रशेखर’ हो कहलाते ।आशुतोष हो देते वर भक्तओं को , अवढ़रदानी हो कहलाते ॥ 8 ॥भोलेनाथ, आशुतोष, नीलकण्ठ, का धारण कर के नाम ।जब जो भक्त पुकारे तुमको, तुम आते हो उसके काम ॥ 9 ॥’रावण’, ‘अन्धक’ का अहंकार, तुम्हारे आगे हुआ ध्वस्त ।’शिवतांड व” रच कर ‘रावण’ के अहंकार का सूर्य हुआ अस्त ॥ 10 ॥’अन्धक’ ने आसुरी पथ त्यागा, तप की अग्नि में स्वयं को तपाया ।जीवन किया धन्य स्वयं का, भक्ति मार्ग को अपनाया ॥ 11 ॥माता ‘पार्वती’ संग तुमसे, शोभित होता पर्वत ‘कैलाश’ ।प्रणवाक्षर से लगी समाधि, जग को देती है नव आस ॥ 12 ॥भक्ति में मेरी शक्ति नहीं, किस विधि स्तुति करूं तुम्हारी ।भावना को स्वीकार करो, संकट मे मेरे हो हितकारी ॥ 13 ॥आशुतोष नाम को करो सफल, मुझ पर तुम सदा रहो प्रसन्न ।कभी ना भूले याद तुम्हारी, चरणों में भक्ति रहे अभिन्न ॥ 14 ॥
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
बहुत ही सुन्दर…..आपने लिखा है…”आदि अन्त रहित तुम व्याप्त सभी में…” यह भाव विरोधभासी लगता…. ऐसे भाव देता लगता की जगत का अंत कभी नहीं होता ….अगर होता है तो शिव का भी होगा क्यूंकि आदि अंत रहित शिव व्यापत है उसमें….. जबकि शास्त्र तो कहते हैं की जगत समापत हो सकता है….मुझे लगता भाव ऐसे होना चाहिये…आदि अंत सब तुम में व्यापत….चराचर जगत तुम्हारी माया…. कृप्या मार्गदर्शन करियेगा मेरा…..
Akhilesh Ji Behad khoobsoorat rachnaa.
बहुत सुंदर अखिलेश जी …………….बड़ी सुंदर शिव स्तुति जय जय बम भोले नाथ…….!
आदरणीय शर्मा जी, शिशिर जी एवं निवतिया जी आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद l
बहुत सुंदर शिव की महत्ता पर टिप्पणी करने के लिए.. बब्बू जी का निर्देश हमें सही लगता है।… सुंदर रचना
अखिलेश प्रकाश श्रीवास्तव जी आपने शिव की सुन्दर स्तुति प्रस्तुति की ,भगवान् शिव की कृपा का फल है | बधाई