हाँ मैं एक पुरुष हूँ बेटा,भाई,पति पिता सब कुछ तो हूँ। मेरे अंदर भी दर्द है मैं भी टुटता हूँ मैं भी रोता हूँ मुश्किलों में घबराता हूँ। पर किसी को दिखलाता नही हूँ। कभी ले लिया मां का पक्ष तो माँ का बेटा कहलाता हूँ कभी लिया पत्नी का पक्ष तो जोरू का गुलाम कहलाता हूँ। मेरे अंदर कितनी कसमकस है मैं व्यक्त नही कर पाता हूँ जब मां मुुझसे कुछ उम्मीद करती है उसे पूरा नहीं कर पाता हूँमुझे बुरा लगता है उसे बतला ही पाता हूँ। जब पत्नी को मेरेसाथ की जरूरत होती है मैं उसका साथ नही दे पाता हूँ (संयुक्त परिवार या नौकरी या किसी कारणवश )मैं उससे कहना चाहता हूँ मैं तुम्हारे साथ हूँ पर कह नही पाता हूँ। जब मेरे बच्चे बीमार होते है मैं भी चिंतित होता हूँ पर अपनीचिंता दिखला नही पता हूँ। मैं भी दर्द में कहराता हूँपूरी तरह से टूट जाता हूँ पर किसी को बतलाता नही हूँ। क्यूंकि मैं पुरुष हूँ मुझे अपनी भावना व्यक्त करना नही आता मुझे उसने(भगवान)इतना कठोर बनाया है मैं अपना दर्द सारे जमाने से छुपाता हूँ। क्यूंकि मैं एक पुरुष हूँ।
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
पुरुष की विडम्बना को भली भाँती चित्रित किया है आपने….बेहद खूबसूरत…..
धन्यवाद सर
Well done…………..
धन्यवाद सर
पुरुष महत्ता पर प्रकाश डालती सुंदर कृति
बहुत बहुत धन्यवाद सर
Very very successful effort to depict
feelings of a man,
धन्यवाद सर
aapne hum pursho ki bhi sochi apko mera pranam aur ye sach bhi hai hamare ander bhi dil hai hum bhi apne parivar ke bare me utna hi sochte hai jitni naari. Ati sunder bhav bhawna ji
बहुत बहुत धन्यवाद सर
nice g
धन्यवाद सर