पुरुष शक्तिशाली या नारी,कोन किसपे परे है भारी,ये बहस तो चलती आयी है,सदियों तक चलती भी रहेगी।मेरा अनुभव तो कहता है,पुरुष भी मन से कोमल होते,अपने हर रिश्ते को है निभाते।एक भाई के रूप में पाया,अपनी बहन का ख्याल रखते हुए,उसकी हर इच्छा का मान रखते हुए।पिता के रूप में पाया,अपनी बेटी को लाड़ लड़ाते हुए,बेटी की विदाई पे छुप छुप के रोत हुए,बाहर से शक्त है ख़ुदको दिखाते,इतनी भी हिम्मत नही कर पाते,किसी के सामने दो आँसू बहादे।प्रेमी के रूप में पाया,अपनी विवशता से झुझते हुए,माँ और पत्नी के बीच,बेटे या पति का फर्ज कैसे निभायेये वह कभी न जान पाये,कभी जोरू का गुलाम कहलाते,तो कभी माँ के हाथों का खिलौना बन जाते।कभी है वो पालनहार,कभी है वो सलाहकार,हर मुश्किल घड़ी में,किसी न किसी रूप में,मिलता उनका सहयोग है।एक ही साथ उसे भी,बहुत सारी भूमिकाएं निभानी पड़ती।भाई, पिता, बेटा, दोस्त, और न जाने क्या क्या,उलझा हुआ वो भी है रिश्तो के जाल में।फिर भी बाहर से शक्त ख़ुदको दिखाते,किसी के सामने जल्दी से अपना हाल नही सुनाते। अनु महेश्वरी
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अनुजी….सच में आपने पुरुषों की भावनाओं का सही चित्रण किया है…. यथार्थ के धरातल पर कह रहा हूँ…. जैसे हर औरत अच्छी ही हो ज़रूरी नहीं है…हर पुरुष बुरा हो….ऐसा भी नहीं है…. नमन आपकी भावनों को….जय हो…..
Thank you, Sharma ji…
Behad sundar or saty parak rachnaa Anu…………….
Thank You, Shishir ji…
कमाल कर दिया अनु जी
Thank you, Rakesh ji..
बहुत खूबसूरत अनु जी …………..!!
Thank you, Nivatiya ji…
Very very laudable effort to depict
feelings of a Man.
Thank You, Raquimali ji..