पुष्प बेल*****मेरे आँगन में ख़ुशियाँ खिलखिलाती हैमन उपवन तितलियाँ सी फुरफुराती हैधरा सी माता नभ से पिता की छाँव मेंबेटियों के रूप में पुष्प बेल लहलाती है !!घर की मुंडेर चिड़ियों सी चहचहाती हैबनकर पुष्प-सुगंध आँगन महकाती हैपुलकित रहता है घर का कोना कोनाअपनी किलकारियों से मन हर्षाति है !!दर्द समेटे जाने कितने,आह तक न आती हैमुसीबतो के पल कभी चेहरे न झलकाती हैपत्थरो सी कठोर बन चट्टानों सी अडिग रहेरोती आँखों से हँसते-हँसते जीवन जी जाती है !!डी के निवातिया
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बहुत ही खुबसूरत रचना है सर
बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………..BHAWANA Ji.
Betiyon ke liya sundar bhaavyukt rachnaa Nivatiya Ji …….
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ……………..SHISHIR JI.
Aapne betio ki mehtta ko jis khubi se darshaya hai vo kabile tarif hai.
बहुत बहुत धन्यवाद आपका …………….RAJEEV GUPTA JI.
बेहद खूबसूरत कविता बेटियों के लिए।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ……………ANJALI YADAV JI.
वाह्ह्ह्ह…..बेहद भावपूर्ण….लाजवाब…..बेटियों को समर्पित भाव वंदनीय हैं….जय हो….
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ……………….C.M. SHARMA JI.
Bahut hi sunder rachna….
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ………….ANU JI.