न हो मायूस साईं के दर पे बदल जाएँगी तस्वीरेंमिट जायेंगे ये दुःख सारे, बदल जाएँगी तकदीरें // शे’र //अपने भीतर, तू निरंतर, लौ जला ईमान कीतम के बादल भी छंटेंगे, यादकर साईं राम की // मुखड़ा //अपने भीतर तू निरंतर …………………..साईं के ही नूर से है , रौशनी संसार मेंवो तेरी कश्ती संभाले, जब घिरे मंझधार मेंहुक्म उसका ही चले, औकात क्या तूफ़ान की //1.//अपने भीतर तू निरंतर …………………..माटी के हम सब खिलोने, खाक जग की छानतेटूटना है कब, कहाँ, क्यों, ये भी हम ना जानतेसब जगह है खेल उसका, शान क्या साईं राम की //2.//अपने भीतर तू निरंतर …………………..दीन-दुखियों की सदा तुम, झोलियाँ भरते रहोजिंदगानी चार दिन की, नेकियाँ करते रहोनेकियाँ रह जाएँगी, निर्धन की और धनवान की //3.//अपने भीतर तू निरंतर …………………..आँख से गिरते ये आँसू, मोतियों से कम नहींकर्मयोगी कर्म कर तू, मुश्किलों का ग़म नहींदुःख से जो कुंदन बना, क्या बात उस इंसान की //4.//अपने भीतर तू निरंतर …………………..
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कमाल की लेखनी
सुन्दर प्रेरक् वचन
Bahut hi sundar rachna….
Shukriya!