Homeदाग़ देहलवीरस्म-ए-उल्फ़त सिखा गया कोई रस्म-ए-उल्फ़त सिखा गया कोई विनय कुमार दाग़ देहलवी 29/03/2012 No Comments रस्म-ए-उल्फ़त सिखा गया कोई दिल की दुनिया पे छा गया कोई ता कयामत किसी तरह न बुझे आग ऐसी लगा गया कोई दिल की दुनिया उजाड़ सी क्यूं है क्या यहां से चला गया कोई वक्त-ए-रुखसत गले लगा कर ‘दाग़’ हंसते हंसते रुला गया कोई Tweet Pin It Related Posts हर बार मांगती है नया चश्म-ए-यार दिल ग़म से कहीं नजात मिले चैन पाएं हम ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.