गुरु छवि ऐसी प्यारी मनवा….गुरु छवि ऐसी प्यारी…..भोर मेरे जीवन की गुरु से….निंदिया भी आये प्यारी…मनवा….गुरु छवि ऐसी प्यारी…राह न भटकूं जीवन में कभी….गुरु अखियां रहत निहारी…मनवा…..गुरु छवि ऐसी प्यारी…सोच मेरी मन भाव प्रेम के….गुरु दे हैं उभारी…मनवा…..गुरु छवि ऐसी प्यारी….मनवा….तृष्णा मिटी मन तृप्त भया अब….गुरु सागर बलिहारी….मनवा….गुरु छवि ऐसी प्यारी….गुरु मेरे की ज्योत जगी जब से….कुमति मेरी सब हारी….मनवा…गुरु छवि ऐसी प्यारी….देख देख छवि गुर आपण की….मेरी नाचें वृतियां सारी…मनवा….गुरु छवि ऐसी प्यारी…..गुरु छवि मैं जब भी निहारूं….पाऊं कृष्ण मुरारी….मनवा…गुरु छवि ऐसी प्यारी…..\/गुरुकृपा रचित – सी.एम्.शर्मा(सब को गुरुपूर्णिमा की कोटि कोटि बधाई….सब का मंगल हो…. मन विजयी हो….)
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
Ati sundar guru vandan …….
तहदिल आभार आपका….Madhukarji….
बहुत ही सुन्दर रचना
तहदिल आभार आपका….Bhawanaji…
bahut khub Guru ki stuti Sharma Sahab
तहदिल आभार आपका….Rajeevji….
Bahut sunder, Sharma ji…
तहदिल आभार आपका…Anuji….
अति सुंदर गीत रचना बब्बू जी ………………गुरुपूर्णिमा की कोटिश बधाई आपको ………..सभी लेखकगण हमारे गुरु समान है कुछ न कुछ सीख प्रदान करते है………….सभी कलमकारों को नमन ………!!
अब यकीनन सही कहते हैं… जिनसे कुछ भी सीखने को मिलता वो गुरु तुल्य ही है….तहदिल आभार आपके वचनों का…..Nivatiyaji….