रूमाल बहुत ही कमाल इसके है बहुत से इस्तेमाल। माँ का दिया वह रूमाल आज भी रखा है संभाल। जब भी याद आती माँ की उसे देखती में निकाल।बचपन में स्कूल जाते वक्त माँ देती रोज नई रूमाल ।रगं होते उसके कभी पीले,गुलाबी और लाल। जब पसीना निकले माथा से तो उसे पोछ देती रूमाल। कोई दुर्गंध नाको से टकराए तो खुद चली आती नाको पर रुमाल। जब खेलूँ आंख मिचौलीतो आँखो पर बंध जाती रूमाल ।कभी कभी स्कूल जाते वक्त माँ बालो मे बांध देती रूमाल। भावना कुमारी
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Rumaal par achcha srijan
बहुत बहुत धन्यवाद सर
bahut khub Bhawna ji
धन्यवाद सर