कैसे कह दूँ प्यार मैं तुमसे नहीं करताघाव ये दिल का मेरे कब से नहीं भरताहाथ तुम ना छोड़ते फिर ये नहीं होताज़िंदगी की राहों में मैं भी नहीं गिरता जोत जो इस प्रेम की मद्धम नहीं होतीइन अँधेरों में कभी मैं भी नहीं घिरतामुझको भी अपना अगर कोई बना लेतायूँ तन्हा टूटा हुआ मैं भी नहीं फिरताइस कदर बिखरे हैं मोती हार के अब तोजोड़ने को मधुकर कोई धागा नहीं पिरताशिशिर मधुकर
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बहुत सुन्दर रचना
Dhanyavaad Bindu Ji ………
हृदय को छूती बेहतरीन रचना सर।
Tahe dil se shukriya Devendra ………
kya likha hai aapne Shishir Sahab “मुझको भी अपना अगर कोई बना लेता
यूँ तन्हा टूटा हुआ मैं भी नहीं फिरता” bahut hi khubsurt line dil ko chuti hue.
Tahe dil se shukriya Rajiv Ji ……….
Bahut hi sunder , Shishir ji…
Tahe dil se shukriya Anu …………
behad khoobsoorat………….
Tahe dil se shukriya Babbu Ji ………