मन तो अपने एक हैं तन ही दूर हैंइस जहाँ में हम तो बड़े मशहूर हैं चाहे मिल सकें नहीं रोज़ एक वार एक दूजे के लिए हम तो गुरूर हैं दर्द अपने गीत आज बन रहे हैं जो प्रीत जताने के भी हमको शऊर हैंभूले कोई कैसे कहो उनकी यादगार चाँद से प्यारे ही जब अपने हुजूर हैंहमको हमारी आँखों में ढूँढ़ लो मधुकरएक दूजे की नज़र का हम ही तो नूर हैं शिशिर मधुकर।
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बहुत ही खुबसूरत रचना
Haardik aabhaar
behad khoobsoorat………….
Tahe dil se shukriya Babbu Ji …….