सुबह शाम मैं उसे रिझाऊँनैन पलक पर जिसे बिठाऊँबिन उसके दिल है बेहालक्यों सखि साजन?ना गोपाल
घड़ी – घड़ी मैं राह निहारूँसुबह शाम नित उसे पुकारूँदरस बिना, जीवन बेकारक्यों सखि साजन,न करतार
जा कारे के हम दीवानेकर डारै बा नै बेगानेछोड़ गयो,ज्यूँ रह्यो न कामका सखि साजन,न घनश्याम
दूर रहे नहीं पास वो आयेफिर भी मेरे दिल को भायेधवल रूप, नैनों में शेषका सखि प्रीतम, नहीं राकेश
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Behad sundar …….
पुनश्चः हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री
umda……………..
हार्दिक आभार आदरणीय श्री