चले आओ ज़रा तुम पास में तुमको मना लेंगेअपनी बाहों में ले के तुमको सीने से लगा लेंगेबड़ा बैरी ज़माना है नज़र से इसकी बचना हैतुम आगोश में आओ सदा को हम छुपा लेंगेकरेंगे प्यार फिर इतना तुम सो भी ना पाओगे तेरी आँखों से इन नींदों को हम ऐसे चुरा लेंगे उल्फ़त में तेरी जो भी अदावत मोल ली हमनेउसी के सामने अपना ये सर फिर से झुका लेंगे बड़े ग़म ज़िंदगी में आ गए जो आज मधुकर की तेरे चेहरे को हर पल देख के उनको भुला लेंगे शिशिर मधुकर
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bahut khoobsoorat…..tumhein ki jagah tum aagosh sahi lagta………..
Tahe dil se shukriya Babbu Ji ………..Aap kaa sujhaav uttam hai. Main use incorporate kar raha hun……….
बहुत ही खुबसूरत रचना है सर
Tahe dil se shukriya ……..