दीवाना___मै दीवाना, तेरी कातिल अदाओ पे मरने आ गयालुटां के जां इस जुर्म का जुर्माना भरने आ गया !!मुहब्बत करते देख जमाने को बाते बहुत बनायीमिटाके खुद को इसमें आज मै भी संवरने आ गया !!सुना है बड़ी मेहर होती है, रब कि इस इबादत मेंमैं नादाँ इस दरिया के हवाले खुद को करने आ गया !महफिले सजती है मयकदे में लेकर जाम तेरे नाम केमै लेकर नशा तेरी आँखों के जाम में उतरने आ गया !!अब वफ़ा मिले मुझको या बेवफाई से हो सामनाइश्क के इस ख्वाबगाह से “धर्म” गुजरने आ गया !!डी के निवातिया
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Bahut khoob Nivatiya Ji …….
वाह वाह साहब क्या कहने…. बहुत खूब लिखा है अपने
behad khoobsoorat……………..
Bahut Sunder…
Bahut hi sundar rachna..Great composition 👍👍
बहुत ही सुन्दर