लगा कर दांव पर सब कुछ तेरा जीवन सुधारा है ये कैसा प्रेम है जो मुझसे मिलन अब नागवारा हैकमी मेरी भी है एक इंसान को भगवान कर डालाजिसको सुमिरे बिना एक पल भी मैंने ना गुजारा हैअगर तुम जान लो हालत मेरी तुमको ख़बर होगीमेरी धड़कन ने हर पल नाम बस तेरा पुकारा हैना ही नाराज़ हो तुम और ना मिलने की जल्दी है बड़ी मुश्किल हुईं समझा नहीं मैं क्या इशारा हैबड़े तूफान आए डोर पर अब तक ना टूटी है कई जन्मों का लगता साथ ये मधुकर हमारा है शिशिर मधुकर
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
वाह बेहतरीन गजल सर जी
Tahe dil se shukriya Madhu Ji. Kaafi samay baad aapki matavpoorn pratikriya mili.
Bahut sundar, Shishir ji…
Dhanyavaad Anu ..,……
Bahut khoob kaha hai apne ,,,,,Shishirji
Tahe dil se shukriya aadarneey Kiran Ji ……..
लाजवाब…….मधुकरजी….मतले में संवारा और नागवारा आने से…काफिया वारा हो जाता है…बाकी ग़ज़ल में आरा आ रहा है……
Aisa kyon Babbu Ji. Kya inkaa sandhi vichched baaki se alag hai. Krapya maarg darshan karen .
मतले के दोनों मिसरों में काफिया एक जैसे जो है…उसको सारी ग़ज़ल में लेते हैं…….आप के मतले में संवारा और नागवारा…..इसमें कॉमन जो है वो “वारा” है….अब मान लो इसमें “संवारा और नागँवारा ” जैसा होता तो काफिया “आँवारा” पे फिक्स होना था अनुस्वार लिए हुए…क्यूँ दोनों में कॉमन “आँवारा” आता है…. अब संवारा है पहले में दूसरे में अगर आप रखते “गहरा” तो कॉमन काफिआ “रा” हो जाता …न की आरा….इस तरह आप के मतले में काफिया “वारा” आ रहा है…जब की बाकी जगह सिर्फ “आरा”….. आशा है आप मेरी बात समझे….
Agar main matle kee pahli line me sudhaaraa kar dun to theek rahegaa naa . Tab vaaraa se bach jaaenge .
जी….अगर आप इशारा… हमारा…. नज़ारा… आरा…. निहारा…. शरारा….दुबारा….जैसे लेते हैं तो आरा आएगा….बाकी ग़ज़ल में जो है…..