सुनो ना बेटीमेरी प्यारी बेटीआज भले ना समझ पाओ मुझेआज छोड़ गयी हो ना मुझेमेरे बूढ़े होते हाथों सेकन्यादान का अधिकार भी छीन गयी नाक्या-क्या सपने ना देखे तुम्हारे लिएआखिर किसके लिएअपने बाप को पराया कर गयीउस अजनबी के लिएजिसने दो पल मीठी बाते कर केतुम्हे मजबूर कर दियातुम तो मेरे माथे की पगड़ी थीमेरे कलेजे का टुकड़ा थीफिर क्यों सब टुकड़ा-टुकड़ा कर दियातुम तो मेरे आँगन की तुलसी थीआँगन में गूंजती किलकारी थीकसूर क्या था मेरा बेटीतुम्हे जन्म देनाबेटी बताओ नासुनो ना बेटीतुम्हे शायद नहीं पता होगातुम्हारा जन्म लेना किसी को भी मंजूर ना थाहर कोई चाहता था तू जन्म ही ना लेपर ये पाप था ना बेटीतेरे माँ-बाबा ऐसा कैसे कर देतेतुम कली ही तो थी नाजो फूल बनकर मेरे बाग़ में खिलने वाली थीतुम मेरे शरीर की ना सहीमेरी आत्मा का हिस्सा तो थीआज कोई बहका गया तुम्हेऔर तुम बहक गयीअपने बाप को पराया कर गयीजो बूढी आँखे तुम्हे विदा करते हुएफफक-फफक कर रोना चाहते थेउनके आंसू तुम सुखा गयीबेटी बताओ ना तुम्हे जन्म देना पाप था ना–अभिषेक राजहंस
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superb dear
आभार आपका विजय जी
khoobsoroat chitran……..bhaavon ka…..
दिल से धन्यवाद आपका
अति सुंदर अभिषेक ………..बढ़ते रहो !
आपका हृदय से आभार गुरुदेव
Very nice lines and very emotionaly.
धन्यवाद अंजलि जी
बहुत सुन्दर अभि
धन्यवाद दीदी