कह दो जो तुम को है कहना,देखो तुम यूँ चुप मत रहना|पसरा घर में जो सन्नाटा,मुश्किल वो खामोशी सहना।जीवन मेरा तुझ बिन सूनाबस तू मेरे दिल का गहना|लोगो का काम दखल देना,इन बातों से न कभी ढहना।अब यूँ हिम्मत न कभी खोना,तुम न अकेले पीड़ा सहना।कह दो जो तुम को है कहना,देखो तुम यूँ चुप मत रहना| अनु माहेश्वरी
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Ati sundar Anu ……
Thank you, Shishir ji…
Koobsoorat rachna ,,
Thank you, Kiran ji…
Ati Sundar Rachna Anuji
Thank you, Ram Gopal ji…
वाह्ह्ह्ह….अनुजी…कमाल…..१६ मात्रा में….एक आध जगह कम है….बचपन की कविताएं ऐसे ही होती थी…छम छम करती….जब ऐसे अभ्यास हो जाएगा लय का तो ग़ज़ल भी बनेगी….बेहद उम्दा लय ताल…..
Thank you, Sharma ji…
अति सुंदर अनु जी …….!
अच्छा लगता है भावो का बहना
बस जैसे हो वैसे ही तुम रहना !!
Thank you, Nivatiya ji..
बेहद सुंदर रचना है
बहुत खूब
बधाई अनुजी……
Thank you, Shashikant ji…
बहुत बढ़िया रचना सुंदर भावपूर्ण अनु जी
Thank you, Madhu ji…
Bhoot sundar mam
Thank you, Ajit..