तेरी सूरत ही अब तो मेरे जीवन का सहारा हैखुशी मिलती है मुझको इसे जब भी निहारा हैभले तुम दूर रह कर के प्रीत अपनी जताती हो ये दूरी दो दिलों के बीच कब मुझको गवारा हैबड़ी मुद्दत हुईं मुझको सफ़र में ढूँढते मंजिल लाख कोशिश करी पर नहीं मिलता किनारा हैमुहब्बत जो मिली मुझको कभी संग रह नही पाई ना जाने कौन सा कुदरत का इसमें भी इशारा हैतन्हा इंसान मधुकर ज़िन्दगी में टूट जाता है किसी शक्ति ने ही उसको यहाँ हरदम संवारा हैशिशिर मधुकर
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Vary nice, Shishir ji…
Thank you very much Anu……
Shandar Rachna Madhukar Ji
Tahe dil se shukriya Ram Gopal ji ……..
वाह्ह्हह्ह…..क्या लय बनी है…..लाजवाब…..बेहद उम्दा….
Tahe dil se shukriyaa aadarneey Babbu Ji ………
बहुत अच्छा लिखते हैं आप ……., बेहतरीन……,, बेमिसाल…….,अति सुंदर ।।।
Tahe dil se shukriya Meena Ji ………..
बहुत बढ़िया शिशिर जी …………….!
कोई न कोई मिल ही जाता है जीवन पथ में
एक दूजे का ही तो यहाँ पर सबको सहारा है !!
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji ……………………
बहुत सुंदर रचना सर जी आपकी
Tahe dil se shukriya Madhu Ji ……….