आधुनिकता का परिधान पहने है आज का बचपन,महँगे खिलौनों में सिमट गया है आज का बचपन,खुले आसमान के नीचे खेलने का रिवाज नहीं अब,इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में कैद हुआ है आज का बचपन,कहाँ हैं कागज की कश्ती,कहाँ मैदानों में अब है मस्ती,इन सब खेलों से रिक्त हुआ है आज का बचपन,जिस मिट्टी की खुशबू में हम खेले, कूदे, बड़े हुए,उसी मिट्टी की खुशबू से दूर भागता आज का बचपन,पहले जैसा कुछ नही अब,सब कुछ जैसे लुप्त हुआ है,बनावटी दुनिया में बन गया बनावटी आज का बचपन।By;Dr Swati Gupta
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Very true and aptly told…….
sahi…..steek………..
सत्य वचन ……..!