कविता लिखना मुझे है पसन्द,पर किसी बंधन में ना बंधना चाहती|जो आसानी से आ जाये समझ,ऐसी सरल भाषा में लिखना चाहती|कलम से निकली आवाज़ से,लोगो के दिलो को झकझोड़ना चाहती|समाज की कमिया लिख के,सोये लोगो को मैं जगाना चाहती|दिल से लिखी गयी बातों से,लोगो के दिलों तक पहुँचना चाहती|अनु महेश्वरी
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Well said. I also avoid complexity of language….
Thank you, Shishir ji..
अनुजी….भाव जिस रचना के दिल तक नहीं पहुंचते वो रचना बेकार होती है….बेशक विधा से सुसज्जित हो या अलंकृत हो……बहुत बार मैंने ऐसा देखा है की लफ्ज़ रचनाओं में ऐसे होते हैं की जो देखने में सुन्दर बनाते पर वो सब ऊपर से निकल जाते हैं…. सीधे…सरल भाव सबसे उत्तम होते हैं…..
Thank you ,Sharma ji…Aap sahi kahte hai Sharma ji…
सबसे उत्तम बात कही आपने …….भाव पाठक के हृदय तक पहुंचकर अपना प्रभाव छोड़ने वाले होने चाहिए …..!
Thank you, Nivatiya Ji…