तेरी फुरकत में तड़पा हूँ मेरी बाहों में आ जाओ मेरे सपनों को सच कर दो निगाहों में छा जाओ बड़ी मुद्दत हुई संगीत जीवन से हुआ रुखसत गीत अपने मिलन के याद कर फिर से गा जाओ रिश्तों में बड़ी दीवार जो दुनिया ने खींची है लगा दो जोर थोड़ा सा मेरे संग इसको ढा जाओ ज़िन्दगी खोने पाने का हमेशा खेल होता है मैंने तो पा लिया तुमको मुझे तुम फिर से पा जाओ बड़ा मुश्किल है जीना दूरियों संग जानते हो जब चलो कोशिश करो मधुकर कभी तुम दूर ना जाओ शिशिर मधुकर
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Bahut Sundar, Shishir ji..
Tahe dil se shukriya Anu ……
खूबसूरत………
Dhanyavaad Babbu ji …………..
सु्नदर भाव ,,,,,,,,,
Dhanyavaad Kiran Ji …………
आपकी कविताएं बहुत ही उत्कृष्ट और सुंदर होती हैं Sir
Aapke anmol shabdon ke lie tahe dil se shukriya Dr. Swati …….
अति सुंदर शिशिर जी ……….!
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji ………………