आस का दीपक जल रहा है….तेल विश्वास का भरा हुआ है…लौ दीये की यूं तेज भरी है…जैसे सूरज तम हर रहा है….माथे बिंदिया माँ है लाल लगाई….आभा विश्वास की मुख पे छाई…विजयी मुस्कान यूं छटा बिखेरे…जैसे बिजली बादलों को चीरे….आँखें भविष्य को बींध रही हैं….जग को चनौती ये दे रही हैं….हार का दर मैं छोड़ आयी हूँ…विजय अभियान मैं लिख रही हूँ….दुनियां के हर कहर से बचाये….माँ बच्ची को आँचल में छिपाए….थपकी उसे दिए जा रही है….साथ में लोरी ये सुना रही है…..बेटी तू दिल का टुकड़ा है मेरा….तुझसे शुरू खत्म हर पल मेरा….जंग शुरू जो की है मैंने, उसका…परचम फहराना अब काम तेरा…कुलदीपक बन के जलना तुम…मन तिमिर जहां का हरना तुम…नापाक हाथ छूएं दामन जो तेरा…दुर्गा बन उन्हें संहारना तुम….कुलदीपक बन के जलना तुम….कुलदीपक बन के जलना तुम…\/मौलिक – सी.एम्. शर्माचित्रकार को वंदन करती मेरी रचना…..
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Babbu Ji behad sundar bhaav. Lekin jab bachchi ki baat ho to deepak ke stahn par stri ling “jaise” baati ityaadi ki koi upma hoti to aur behtar hota. Sochiyega.
आभार आपका….ये तो मैंने हैडिंग लिखा है…और जान बूझ के रखा है….क्यूंकि बेटों को ही कुलदीपक कहा जाता है…बेटी क्यूँ नहीं…. मेरी चाह इतनी है की कुलदीपक दोनों को कहा जाए…”दीपक” एक रौशनी का ऊर्जा का प्रतीक है…. और अपने आप में स्त्रीलिंग है…. बेशक नाम से वो पुलिंग लगता है…. “लौ” को “ज्योति” कहते हैं…. और अगर अध्यात्म रूप से देखें तो भी यह अंतर्मन में ज्योति ही जलती है… और जो घर या मंदिर में ज्योत प्रज्जवलित करते हैं माने हम किसी को भी…वो ज्योत दुर्गा स्वरुप होती है… मतलब शक्ति स्वरूपा…. किसी देव के लिए कोई ज्योत नहीं जलती…उनकी शक्ति की उपासना हेतु ज्योत प्रज्वलित की जाती है…. आशा है… मेरे कुलदीपक का मतलब अब साफ़ हुआ होगा….
Ye to adhyatm ka sarvochch sopan ho gaya jahan adwait aa gaya arthat lingbhed khatm hi ho gaya. Appreciate your response.
जी…बिलकुल यही कह रहा हूँ मैं….आत्मा जो बेटे में है वही बेटी में है…माँ बाप दोनों के एक हैं… तो दीपक सिर्फ बेटा ही क्यूँ….वही ज्योत तो सब बच्चों में है….और दोनों अपने कुल का नाम रौशन करते हैं….शारीरिक ढांचा मायने नहीं रखता इसमें….जैसे दीपक में…दीपक मिटटी का हो…चांदी को हो…सोने का हो…ढांचा कोई भी हो…बिना लौ के ज्योति के दीपक नहीं है वो…और ज्योति स्त्रीलिंग है… प्रज्जवलित वही होती है…और स्रिष्टि उजागर भी वही करती है….
बहुत ही सुंदर मनभावन रचना👍👍👍👍
तहदिल आभार आपका…..Swatiji…
Bahut hi sundar rachna, Sharma ji…
तहदिल आभार आपका….anuji…
मै आपके विचारो से पूर्णतया सहमत हूँ ………सब कुछ आपके स्पष्ट कर दिया ……………नमन करता हूँ ऐसे विचारो को …!!
तहदिल आभार आपका…Nivatiyaji…. मैंने पहले नाम कूलज्योति सोचा था… हाहाहा…पर क्यूंकि कुलदीपक एक सिंबॉलिक आधार है बस…और कुछ नहीं तो इसी को रहने दिया….
बहुत ख़ूब ,,,,,,,,,
तहदिल आभार आपका….Kiranji….