कहो किसको सुनाएं हम मुहब्बत के वो अफ़सानेंयहाँ अपना पराया कौन है अब तक ना पहचाने सदा बदनाम होते हैं झूठ वो कह नहीं सकते सबको खुद सा समझते हैं उल्फत में ये दीवाने कभी सोचें ना आगे की फ़ना कर देते हैं साँसें शमां के साथ जलने को मचलते हैं जो परवाने शमां जो ना पिघलती और परवाना जवां होता हर तरफ रोशनी होती ना होते फिर ये वीराने करो कुछ भी मगर तुम ना करो सौदे कभी दिल के सब कुछ लुटा आए हैं मधुकर सब को समझाने शिशिर मधुकर
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बहुत सुन्दर………….
Dhanyavaad Babbu Ji ………………….
Bahut hi badiya Sir👍👍👍👍
Tahe dil se shukriya Dr. Swati………….
bahut sundar, Shishir ji….
Bahut bahut dhanyavaad Anu……….
बहुत खूबसूरत शिशिर जी ……..!
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji …………………….