जब दिल में मुहब्बत होती है नज़रों से बोला करती है मुँह से निकली हर बात भी तब राज़ों को खोला करती है जब फूल जुबां से झरते हैं चेहरे पे हया सी होती है आशिक के कानों में गोरी तब अमृत को घोला करती है जब प्यार किया ना सोचा कुछ बस दिल चुपके से दे डाला व्यापार की खातिर ही दुनिया रिश्तों को तोला करती है जो प्राण बसे हों आशिक में पाना खोना बेकार है सब ऐसी गोरी को कुछ भी दो पर नीयत ना डोला करती है छाँव मिलेगी प्रेम की जो शीतलता मन में छाएगी नफ़रत की भाषा तो हरदम हिम को भी शोला करती है शिशिर मधुकर
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बहुत ही खुबसूरत
Dhanyavaad Bhawna Ji ……..
वाह…क्या बात है लाजवाब….. मतला एक दुसरे को कॉम्प्लीमेंट नहीं करता लगता मुझे तो…
जब दिल में मुहब्बत होती है नज़रों से बोला करती है
मुँह से निकली हर बात भी तब राज़ों को खोला करती है
पहली को दूसरी कॉम्पलिमेंट नहीं करती लगती….
इसको ऐसे सोच के देखिए….
बात तो होती कुछ नहीं ख़ुशी चेहरे कि राज़ खोला करती है…
व्यापार की खातिर अब या अक्सर दुनिया रिश्तों को तोला करती है…मुझे लगता ऐसे होना चाहिये…
Aapki aalochnaatmak pratikriya ke lie dheron aabhara Babbu Ji ……
aapke har ek shabad dil ko chute hai bahut hi khubsoorti se aap apni baat keh jate hai . aapko saadar pranam shishir sahab.
aapke har ek shabad dil ko chute hai bahut hi khubsoorti se aap apni baat keh jate hai . aapko saadar pranam .
Aapki apnatv bhari pritokriya ke lie tahe dil se shukriya Rajiv Ji ……
Bahut sundar, Shishir ji….
Dhanyavaad Anu ………..
Sundar bhav sir..
Dhanyavaad Devendra……