सोचता हूँ की मै क्यों सोचता हूँ ?क्या होगा सोचकर ये सोचता हूँ ?क्या हो पायेगा जो मै सोचता हूँ ?या मै बेकार में ही यूँ सोचता हूँ ?बिन सोचे, सोच भी तो नहीं आती lसोचे बिना सोच पूरी नहीं हो पाती llकुछ करने के लिए सोचना जरुरी है lबिन सोचे इच्छा पूरी नहीं हो पाती llसोच ही तो इंसान को बड़ा बनाती है lछोटी सोच इंसान को नीचे ले जाती है llसोच ही इंसान का वो आईना है यारो lजिससे इंसान की पहचान हो पाती है llतभी कहते है सोचो मगर अच्छा सोचो lअच्छी सोच ही तुम्हें आगे ले जाएगी llसोचोगे तभी तो कुछ कर पाओगे यारो lबिन करे सफलता भी नहीं मिल पायेगी ll———————
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Atyant khoobsoorat or arthpoorn rachna Rajiv Ji ……
Aapka dil se aabhar Shirshir sahab
क्या सोच है….हाहाहा….बहुत बढ़िया….
dhanyavad Sharma Sahab
वाह बहुत खूबसूरत.चिंतन …….अत्यंत खूबसूरत……..आपने हर पहलू को इंगित किया …बधाई हो !
सोच सोच कर सोचने में दुनिया हुई विभोर
बहुत सोचा पर बिन सोचे मिला न कोई ठोर !!
kavita ko sarahne ke liye apka dil se dhanyavad Nivitiya sahab
Bahut sundar Rajeev ji…Soch agar Chintan hai to thik hai…
Shukriya Anu ji
very nice composition Rajeev ji
Dhanyavad Swati ji
बहुत ही सुन्दर
aapka bahut bahut aabhar Bhawna ji