जैसे – जैसे याद तुम्हारी आती हैदूर चली जाती तो बड़ा सताती है।लगता डर या कोई भूल भुलैया हैहर धड़कन मेरी यह मुझे बताती है।प्यार किया तमाशा या दिल चोरी हैजान गया हूं मुझको मन में भाता है।आग में जैसे तन बदन मन जलते हैबेचैनी कैसी वह मुझे जगाती है।होता नहीं इंतजार बोलो क्या करनामैं आऊँ या फिर से तुम बुलाती है।तेरी सूरत जान से प्यारी लगती हैऐसे तेरी हर अदा मुझे लुभाती हैं।तन्हा नहीं रह पायेगा बिन्दु याद करोऐसी सजा क्यों देकर आजमाती है।
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Bahut khub sharma sahab
sundar….lingbhed galtiyaan sahi kar leejay….
अति सुंदर बिंदु जी ……………….आप को लिंग भेद पर कार्य करने की अति आवश्यकता है !
bahut hi sundar
बहुत ही सुन्दर