तुम न समझे
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बहुत बुझाई पहेलियाँ, मगर कोई सवाल तुम न समझे !समझ गई दुनिया सारी कितने हुए बवाल तुम न समझे !!
टूट गए हम टूटकर बिखर गए,कतरा कतरा बेजान हुए !हम समझे हाल तुम्हारा,पर हमारा हाल तुम न समझे !!
दिन का चैन, रातो की नींद गई, दिल गया संग जान गई,हारकर सब कुछ अपना, हम हुए निढाल तुम न समझे !!
प्रेम के बादल रूखे है, प्यासे नयनो के समंदर सूखे हैमंदी के इस दौर में हम हुए तंगहाल तुम न समझे !!
बेचैन दिल ना साज़ हुआ, तन्हाई में बुरा हाल हुआप्रेम नगर में सुख -चैन का, पड़ा अकाल तुम न समझे !!
सितारों की दुनिया सज़ा के, हम राह -ऐ-वफ़ा से निकले दिल में बज़ी थी शहनाई उसकी सुर-ताल तुम न समझे !!
तेरे वालिद से भाईजान तक सब जान के दुश्मन हुएहमारे सर पड़ा भारी, झंझटो का जाल तुम न समझे !!
जितना भी मुनासिब था हमने इश्क में सब कुछ सहा हुजूर,अच्छे खासे अफसर से, हम तो भये कोतवाल तुम न समझे !!
जब खुद पे बीती तो हकीकत का कुछ अंदाज़ा यूँ हुआबुरे फंसे “धरम “मेरे यार, फिर भी मज़ाल तुम ना समझे !!
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डी के निवातिया
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लाज़वाब… उम्दा…. बधाई हो।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका बिंदु जी !
Bahut khoob , Prem karna it a Asante bhi nahi
बहुत बहुत धन्यवाद आपका किरण जी !
Bahut khoob , Prem karna itn a aasan bhi nahi
बहुत बहुत धन्यवाद आपका किरण जी !
लाजवाब……………..
बहुत बहुत धन्यवाद आपका बब्बू जी !
बहुत खुब
बहुत बहुत धन्यवाद आपका भावना जी !
Aap Bahut Achi Kavita likhte ho mujhe aap ki kavita pasand aayi maybe Kavita likhta Hoon Main Apni Kavita Prakash karvana Chahta Hoon Mujhe aap kuch sujhav dijiye aapke jawab का Intezaar rahega
बहुत बहुत धन्यवाद आपका बनवारी लाल जी ……………..बहुत अच्छी बात है आप लिखते है ……….यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपनी रचनाये कहाँ प्रकाशित कराना चाहते है………..यदि आप साइट पर प्रकाशिस्ट करना चाहते है तो उसके नियम मुख्य पृष्ठ पर अंकित है …यदि किसी पत्र पत्रिका में तो आप उससे सम्बंधित कार्मिक से बात करे !
Bahut khub Nivitiya ji
बहुत बहुत धन्यवाद आपका राजीव जी ……!
अति उत्तम रचना
बहुत बहुत धन्यवाद आपका Onika Setia जी ……!