साये की तरह साथ देने वाले मैंनें अपने पिता को खोया था। आज फिर से याद आ गयी उनकी आँखें अपने आप ही रोया था। ठोक कुम्हार सा सुन्दर सुघड़ बनाया एक एक फूल हारों में पिरोया था। याद भी आयी उस पल की जो हमेंहमको अपने कांधो पर ढ़ोया था। आज ऐसा वही फल मैं हूँ उनका जो पापा ने सींचकर बोया था। आज जहाँ हूँ गर्व होता मुझे अबजिसने उंगली पकड़ दिल टोया था।
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Very nice ,,,,,,,,,Happy Father’s Day
behad khoobsoorat bhaav………..
अति सुंदर बिंदु जी ……………..माता और पिता दोनों की जितना समर्पित किया जाए सदैव कम ही रहता है .!!