तू मेरा मैं तेरी फिर किसे और क्या करूँ मैं अर्पण…भाव तुम से तुम्हीं भाव हो किसका करूँ समर्पण…निर्जीव ‘मैं’ में ‘तुम’ प्राण हो किसका करूँ मैं तर्पण….फिर भी कहते हो तो लो किया तुम्हें तुम्हीं को अर्पण…तेरी माया तेरी छाया तेरा रूप मुखरित ये संसार है….छल कपट का फिर बोल यहां पे होता क्यूँ व्यापार है…जाने है तू सब कुछ लेकिन तुझ को नहीं स्वीकार है….बिना समर्पण कैसे कहे तू मैं तेरा तू मेरा ही आकार है…भावों का अर्पण बन दर्पण रूह का करे विस्तार है…इश्क़ अटारी चढ़ बोला वो खुदा मिलन आधार है…जो डूबा इसमें गहरा वो गूंगे बहरे का संसार है….इश्क़ समर्पण खुदा को अर्पण होता बस निस्तार है….\/सी.एम्.शर्मा (बब्बू)
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
बहुत उम्दा …………..बब्बू जी !
तहदिल आभार आपका…Nivatiyaji….
darshan se paripoorn …………..
तहदिल आभार आपका….Madhukarji….
Bahut hi sundar….
तहदिल आभार आपका…..Anuji….
SAHI KAYA SHARMA JEE ….. BAHUT SUNDER
तहदिल आभार आपका…Binduji…
Superb and superb👍👍
तहदिल आभार आपका…..Swatiji…
आत्मबोध की सुंदर अभिव्यक्ति।
तहदिल आभार आपका…….Davendraji…