भूख
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ये भूख जाने कैसी है, मिटती नहींतन-मन को तृप्ति, मिलती नहींजो जितना अधिक पा जाता हैचाहत फिर दोगुना बढ़ जाता हैकोई दो जून भरपेट को तरसता हैकही अन्नपूर्णा प्रेम अटूट बरसता हैजब मालिक वो लाखो का थानौकर को खुदा समझता थाकरोडो का जब से व्यापार हुआहनन करना अब अधिकार हुआविलासिता के नित नए आयाम गढ़ता हैमुलाज़िम पर पाई पाई को भड़कता हैतिजोरी में माल जमा बेहद बे-शुमार हैफिर भी सूरत से दिखता बेबस-लाचार हैनियत चोरी की ऐसी बनी रहती है दिल में खोट लिएकर सरकारी बचाने को जाने कितने कारक ओट लिएसेवक की सेवा के नाम चढ़ा दिए बही खाते झूठे कितनेहकीकत में पगार से भी काट लिए उस जालिम ने उतनेकैसी ये हवस है कैसी ये भूख हैदो रोटी के नाम पर मची लूट हैजाने कब इंसान खुद को समझ पायेगाजीवन में पर पीड़ा का भान हो पायेगानहीं अगर संभल पाया तो ऐसे ही मिट जाएगाअगर समझ गया तो युग परिवर्तन हो जाएगा !!
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डी के निवातिया
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बहुत सुन्दर रचना
आपके अमूल्य वचनो बहुत बहुत शुक्रिया…………………BHAWNA JI
Wah ! kya baat hai Nivita ji kya khoob likha hai .its true.
आपके अमूल्य वचनो बहुत बहुत शुक्रिया…………………RAJEEV JI.
Bahut khoob. Ek do sthaan par ling bhed theek karne ki aawashyaktaa mahsoos hui.
आपके अमूल्य वचनो बहुत बहुत शुक्रिया शिशिर जी. आपने गहनता से नजर कर त्रुटि से अवगत कराया उसके लिए आपका आभारी हूँ !
बहुत सुंदर और सटीक
आपके अमूल्य वचनो बहुत बहुत शुक्रिया…………………BINDU JI.
Very nice composition 👍👍
आपके अमूल्य वचनो बहुत बहुत शुक्रिया…………………SWATI JI.
लाजवाब सृजन……मानस जीवन की सबसे बड़ी भूख यही है कि मेरे पास कम क्यूँ है….ऐसा मक्कड़जाल में फंस गए हैं सब कि जीवन दूभर हो गया है….एक जगह ‘बनी रहता है दिल’ ‘बनी रहती’ होगा…टंकण त्रुटि है… “जब मालिक को लाखो का था… नौकर को खुदा समझता था” आशय समझ नहीं पाया…
आपके अमूल्य वचनो बहुत बहुत शुक्रिया बब्बू जी. आपने गहनता से नजर कर त्रुटि से अवगत कराया उसके लिए आपका आभारी हूँ !
दुसरे प्रसंग का आशय यह है कि :- “जब मालिक वो लाखो का था… नौकर को खुदा समझता था” इस पंक्ति का आशय यह ही की जब कोई व्यक्ति अपना व्यापार आरम्भ करता है तो आज के परिपेक्ष्य में लाखो रूपये और कुछ लोगो के साथ आरम्भ करता तब उसकी मनोदशा सहाय के रूप में होती है और सबके साथ समान व्यवहार करता है इंसानियत को प्राथमिकता देता है ! अर्थात जब वह मालिक लाखो का था तो अपने कार्मिको या नोकरो को खुदा समझता था लेकिन जैसे ही वह करोड़ो में खेलने लगता है उसकी मानसिकता कार्मिको के प्रति बदल जाती है और उनका हनन करना अपना अधिकार सझने लगता है ऐसा आम जीवन में आप लोगो ने भी शायद अनुभव किया हो, वैसे मैंने निजी रूप में यह देखा है !!!