मुझे इसका बहुत मलाल है न किसी को मेरा ख़याल है मेरी ज़िन्दगी को देख लो बस ग़मों की ये मिसाल है हर मन में उठता सवाल है आखिर हुआ क्यूँ ये हाल है समझे ना खेला दुनिया का टेढ़ी जहाँ हर चाल है ऊँचा रखा निज भाल है आगे ना पर कोई ढाल है छलनी करा मेरे सीने को हर आंसू बना अब लाल है गुज़रे यूँही अब साल है कटता न पर ये जाल है किश्ती जो भी मैंने चुनी उसमे लगा ना पाल है शिशिर मधुकर
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
Bahut sundar rachna, shishir ji…
Tahe dil se shukriya Anu ……………
bahut badhiya…..man ke bhaavon ka chitran……
Tahe dil se shukriya Babbu Ji ……………..
Sir आपकी लेखन कला कमाल की है👍👍
Tahe dil se shukriya Dr. Swati …….
वाह मान्यवर रचना भी बाकमाल है ।
और सच है इस संसार में अपना ख्याल खुद रखें तो बाकी भी हाल-चाल पूछ लेते हैं ।
Aapki sundra pratikriya ke lie aabhaar …..
अति सुंदर शिशिर जी ..इसे आपने कविता में बांधकर एक नए सृजन को अंकित किया है..बहुत अच्छा लगा !
Dhanyavaad NIvatiya Ji ………………