- तस्वीर उसकी आँखों में आती हैतो यादें रुआँ हो जाती हैंजब कागज पर लिखता हूँतो नगमे धुआं हो जाती हैं
दिल रोता तो बहोत हैं मगरआँशु श्याही नहीं बन पातेदर्दे दिल कि सिसकियानकभी ल्फज नहीं बन पातेअखर जाता हूँ इस तनहाई से मैखुद को बेबस लाचार सा पाता हूँशोर गुल कि इस रोशनी मेंखुद को खामोश पाता हूँजो खत तूने लिखे नहींमै उनका जबाब लिखता हूँहर शब्द , हर पंक्ती मेंसिर्फ तेरा अक्स लिखता हूँ
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बहुत ही खूबसूरत………पहले पद की अंतिम पंक्ति में जाती की जगह जाते कर लें…
Ji blkl apki bat pr pura gor kiya jayega
sahi farmaya babbu jee ke baat par dhyan den.
Dhanayabad sriman
सुन्दर
Thanks
बहुत खूबसूरत रचना
Bahut sundar…
Nagme ke sthan par kuch aur shabd jaise baaten use karoge to jaati sahi rahegaa jo zaroori bhi hai muktak ke lihaaz se . Ruan se arth spasht karenge to aabhaari rahenge.