छोटे बच्चे नाजुक कंधे नाजुक कंधे भारी बस्ते बोझ कैसे उठाऊँ में रोज सुबह माँ मुझे जगाती दौड़ा दौड़ा कर ब्रश कराती रगड़ रगड़ कर मुुझे नहलाती कभी चिल्लाती कभी मारती लेकिन वह समझ नहीं पाती दादी तुम उसको समझाओ ना । उसकी मार से बचाओ ना । व तो दिन भर घर में रहती टीवी देख देख मन बहलाती मेरे कंधे नाजुक है टीचर को यह बताओ ना । स्कुल में भी नहीं देती खेलने घर पर मम्मा कहती पढो पढो तुम मेरे संग खेल खेल कर मेरा मन बहलाओ ना। मुझको भी तुम रोज नई राजा रानी की कहानी सुनाओ ना छोटे बच्चे नाजुक कंधे नाजुक कंधे भारी बस्ते तुम सबको यह समझाओ ना।
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बहुत ही बढ़िया भावना जी👍
बहुत बहुत धन्यवाद
behad sundar……..bahut badhiya….
बहुत बहुत धन्यवाद
baal man kee peedaa kaa bada sundar chitran …..
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत खूब मार्मिक अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद
Wah Bhawna ji aapne ek bachche ke dukh ko bachche ki jubani bahut hi khubsoorti ke sath pesh kiya hai , bahut khub.
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत सुंदर अनुभूति
बहुत बहुत धन्यवाद