1कभी किसी को चाहकर तो देखोदिल में तस्वीर सजाकर तो देखोहर शब्द शायरी बन ज़ाएगाकिसी को अपना बनाकर तो देखो |2भुला नहीं पाया तुझसे मुलाक़ात मैंनिकाल लेता हूँ तेरी तस्वीर बात-बात मेंकुछ अधूरे पन्ने हैं अपनी मोहब्बत केहो इजाजत तो लिख दूँ सारे जज्बात मैं |3यादें तेरे सलूक की डसती आज भीमिलने की आरजू में तरसती हैं आज भीआँखे लाख बंध करने के बावजूदरह रह कर बरसती है आज भी |4नशा तुम्हारी आखों कापीने का बहाना करते हैंमरने की तमन्ना है तुमपरजीने का बहाना करते हैं |5ये तेरी हुश्न जवानी का आलमवो तेरी मोहब्बत की बातेंअब तेरे पास गिरवी हैंहमारी धड़कन हमारी सासें |
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बहुत खूबसूरत ……………..!!
bahut bahut aabhar aapka
शानदार
pratikriya ke liye dhanyevad aapka
Bahut hi sundar
राकेशजी….बेहद खूबसूरत हैं मुक्तक……आप इसे दुबारा देखिये…२-३ मुक्तक में भाव मेल नहीं खा रहे….मुझे जो लग रहा वही कह रहा…अन्यथा न लीजिये कृपया…मैं अपनी सोच की बात कर रहा हूँ… जैसे…
लाख कोशिश करूँ मैं रोकने की पर
रह रह के बरसती हैं आँखें आज भी
क्यूंकि कोशिश नाकामयाब हो रही है…आँखें खुली हों या बंद उससे आंसुओं का लेना देना कोई नहीं….
ये तेरी हुश्न जवानी का आलम
वो तेरी मोहब्बत की बातें
अब तेरे पास गिरवी हैं
हमारी धड़कन हमारी सासें |
जब महबूब के प्यार के अहसास की बात हो रही है तो उसी की बात हो….
ऐसे देखिये कैसे लगता…
वो तेरा हुश्न जवानी का आलम
वो तेरी मोहब्बत की बातें
महसूस करता हूँ आज भी मैं
अपनी साँसों में तेरी सांसें…
Bahut achha laga, aapka aabhar
Main aapki pratikriya par vichar karoonga
Bahut khoob ……………
Bahut bahut aabhar aapka
बहुत सुन्दर
सुन्दर रचना