शीर्षक–कितना दर्द होता होगादर्द तो हर किसी कोना होता हैमानाकि लोग कहते हैकी मर्द को दर्द नहीं होतापर मुझे दर्द तो होता हैमुझे इस बात से दर्द होता हैकी मेरी बहनो को कितना दर्द होता होगामेरे क्लास में बैठने वाली मेरी दोस्तों को दर्द होता होगाएक बार मैंने तो पूछ ही लिया थाअपनी माँ से माँ ये पीरियड्स क्या होता हैक्लास में क्यों नहीं पढाया जाता ये पीरियडमाँ ने बड़ी जोर से डांट कर भगा दिया था मुझेऔर बोली तुम लड़के होतुम समझ नहीं पाओगेमुझे याद आया मैं पुरुष हूँ नामुझे ना पीरियड्स पर बोलना चाहिएना लिखना चाहिएपर क्या करूँजब मेरी बहन को महीने के कुछ दिनमाँ पूजा नहीं करने देतीपापा स्कूल जाना छुड़ा देते हैअलग बिछावन पे सुलाया जाता हैतो दर्द मुझे भी होता हैमेरे बहन के दर्द सेमुझे भी दर्द होता हैमुझे तो अपनी बहनों के लिएअपने क्लास में पढने वाली लड़कियों के लिएसोच कर ही दर्द होता हैउन्हें कितना दर्द होता होगा –अभिषेक राजहंस
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संवेदनशीलता मनुष्यता का प्रमाण है ……..जिसे आभास सही वह मानसिक विकृत या शैतान प्रवृति के माने जाते है ! ………….ऐसे विषयो पर जागरूक होना आवश्यक है बशर्ते सिर्फ बातो तक न सीमित हो !….हालांकि कुछ चीज़े ऐसी होती है जिनका समाज में सीधे तौर पर स्वीकृत होना थोड़ा कठिन होता है इसलिए उन्हें प्रस्तुत करने के लिए कुछ सावधानियाँ व् भावो में शब्दों के प्रयोग का महत्व बहुत आवश्यक है !
सर मुझे अपनी रचना में कैसे परिवर्तन करना चाहिए
कृपया अपना मंतव्य स्पष्ट करे