ये माना रास्ते मुश्किल हैं और मन उदास है ज़िन्दगी से नहीं शिकवा अगर रहती वो पास हैहर तरफ आग बरसे है कहीं बादल नहीं दिखते धरा फिर से हरी होगी मगर पलती ये आस है बेरुखी जिसने की मुझसे उसे मैंने वहीँ छोड़ा मगर तुमको नहीं छोड़ा बात कोई तो ख़ास है मुझे मंज़ूर है सब कुछ मगर अपमान चुभता है ऐसे इंसान की सूरत कभी आती ना रास हैलाख फूलों की राहें हों मगर पीड़ा नहीं थमती अभी चुभती है पैरों में लगी कुछ ऐसी फांस है मुहब्बत ढूंढने वालों संभल कर साथिया चुनंना यहाँ लोगों के बदनों पे बड़ा नकली लिबास है भंवर रिश्तों के भी मधुकर वहां पर लील लेते हैं जहाँ ढूंढे से भी मिलता नहीं कोई निकास है शिशिर मधुकर
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Bahut sundar rachna, Shishir ji…
Tahe dil se shukriya Anu ……….
बहुत सुन्दर
Dhanyavaad Bhavna Ji ……..
बहुत खूबसूरत…..मधुकरजी… “मगर तुमको नहीं छोड़ा कहीं पे कुछ तो ख़ास है”…कहीं पे मुझे सही नहीं लगता…”तुम में” ज्यादा सही लगता….एक ये शेर देखिये कैसे लगता….
बिछे हों फूल राहों में मगर पीड़ा नहीं थमती…
चुभन जाती नहीं दिल से अटकी जो फांस है…
भंवर रिश्तों के भी मधुकर वहां पर लील लेते हैं
नहीं मिलता है ढूंढें से कहीं जो कोई निकास है
निकास तो है पर हमें नहीं मिल रहा…आप के शेर में भी भाव मुझे लगता ऐसा ही है…पर मुझे वो महसूस नहीं हुआ…
Aapke sujhaav mahatv poorn hain Babbu ji main mishchay hi gaur karungaa.
बहुत ही सुंदर रचना।Sir
Tahe dil se shukriya Dr. Swati ……….
sahi farmaya madhukar jee.
Dhanyavaad Bindu Ji ……..
बहुत खूबसूरत शिशिर जी ………………अति सुंदर …………….दुसरे शेर की दूसरी पंक्ति में “मगर” उचित नहीं लगा हो सकता है मै समझने में अक्षम रहा हूँ !
Dhanyavaad Nivatiya ji. Main aapke sujhaav par nischit gaur karunga …….
bahut hi khubsurat abhivyakti Shishir Sahab
Tahe dil se shukriya Rajiv.
बहुत अच्छा भाव
Dhanyavaad Rakesh Ji …….
Very nice Shishir JI
Tahe dil se shukriya aadrneey Kiran Ji …………..